एक बुजुर्ग दंपत्ति बोस्टन स्टेशन पर ट्रेन से उतरे। महिला
साधारण सूती वस्त्र पहने थी और पुरुष भी एक हाथ से बुने सूते का साधारण सूट पहन
रखा था। दोनों ही एक साधारण दंपत्ति से दिख रहे थे जिस पर किसी का ध्यान आकर्षित
नहीं हुआ। यह लगभग 1880 का समय था।
वे दोनों हार्वर्ड
विश्वविद्यालय पहुंचे और दरवाजे पर ठिठक कर खड़े हो गए। वे बिना किसी पूर्व सूचना
के वहाँ पहुंचे थे। इमारत एवं आस-पास नजर डाल मंथर गति से चलते हुए विश्वविद्यालय
के अध्यक्ष के कार्यालय में गये। एक नजर में, बिना किसी विलंब के सचिव समझ गई या कि ऐसे साधारण गाँव-गंवार लोगों का
हार्वर्ड में कोई काम नहीं है और शायद वे वहाँ
रहने के भी लायक नहीं हैं।
"हम राष्ट्रपति से मिलना चाहते हैं,"
उस वृद्ध व्यक्ति ने बड़ी कोमलता से कहा।
सचिव ने बिना एक पल गँवाए कहा, "लेकिन वे तो आज पूरे दिन व्यस्त हैं। वे नहीं मिल पाएंगे।"
इस बार महिला ने जवाब दिया, "हम इंतज़ार करेंगे।"
कई घंटे व्यतीत हो गए। सचिव
उन्हें अनदेखा करती रही इस उम्मीद से कि शायद दंपत्ति अंततः हतोत्साहित हो कर चले
जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सचिव समझ गई कि ये टस-से-मस होने वाले नहीं हैं। तब
थक कर सचिव ने अंततः अध्यक्ष को सूचित करने का फैसला लिया।
सचिव अध्यक्ष के पास पहुंची
पूरी बात बताई और अनुरोध किया कि अगर वे उन्हें थोड़ा समय दे दें तो वे चले जायेंगे, उसे नहीं लगता के वे ज्यादा देर रुकेंगे।
सचिव की बात को समझते हुए एक लंबी सांस लेते हुए अनिच्छा से सिर हिलाकर सहमति दे
दी। जाहिर है कि उनके जैसे किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के पास उनके साथ समय बिताने का
समय नहीं था। लेकिन साथ ही उसे यह ज्यादा
बुरा लग रहा था उसकी ऑफिस के बाहर ऐसे लोग बैठे थे। जब तक वह जोड़ा हाथ जोड़े उनके
कमरे में दाखिल हुआ तब तक अध्यक्ष पूरी तरह तने हुए चेहरे और गरिमा के साथ बैठ गए
थे। उनके चेहरे पर झुंझलाहट साफ दिख रहा था।
महिला ने मृदु स्वर में अपनी
बात कही,
"हमारा एक बेटा था जो एक वर्ष
हार्वर्ड में पढ़ा था। उसे हार्वर्ड बहुत पसंद था। वह यहाँ खुश था। लेकिन लगभग एक
साल पहले,
दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना में वह मारा गया। मैं और मेरे पति
विश्वविद्यालय के कैंपस में कहीं उसकी याद में एक स्मारक बनवाना चाहते हैं।"
अध्यक्ष को इससे कोई फर्क
नहीं पड़ा। अपने आप को संयत करते हुए उन्होंने रूखे स्वर में कहा,
"मैडम, हम हार्वर्ड में पढ़ने वाले और मरने वाले हर व्यक्ति की
मूर्ति नहीं लगा सकते। अगर हम ऐसा करेंगे, तो यह जगह कब्रिस्तान जैसी दिखने लगेगी और .....।"
"ओह, नहीं,"
महिला ने बीच में ही टोका और तुरंत समझाया,
"हम कोई मूर्ति नहीं लगाना चाहते
हैं। हम हार्वर्ड को एक इमारत देना चाहेंगे।"
अध्यक्ष की आँखें चौड़ी हो गई।
उनकी पोशाक पर नजर डाल, उनकी
हैसियत का जायजा लिया और एक तिरस्कार और व्यंगात्मक आवाज में कहा,
"एक इमारत! क्या आपको पता है कि एक
इमारत की कीमत कितनी है? हार्वर्ड में हमारे पास भौतिक इमारतों की कीमत साढ़े सात मिलियन डॉलर से
ज़्यादा हैं।"
एक क्षण के
लिए महिला चुप हो गई,
उन्हें साहस विश्वास नहीं हुआ। और दुबारा पूछा, “कितनी?”
अध्यक्ष प्रसन्न हुए, उन्हें लगा अब उनका उनसे छुटकारा मिल जाएगा
और मुसकुराते हुआ कहा, “साढ़े सात मिलियन डॉलर।”
महिला अपने पति की ओर मुड़ी
और धीरे से बोली, "क्या विश्वविद्यालय खोलने में बस इतना ही खर्च आता है?
क्यों न हम अपना खुद का विश्वविद्यालय खोल लें?" उसके पति ने स्वीकृति में सिर हिलाया।
अध्यक्ष का चेहरा उलझन और
घबराहट से मुरझा गया। इसके पहले कि वे कुछ कहते वृद्ध दंपत्ति हाथ जोड़ उठ खड़े हुए
और निकल गए।
ये थे श्री और श्रीमती लेलैंड
स्टैनफोर्ड। उन्होंने पालो ऑल्टो, कैलिफोर्निया की यात्रा की, जहाँ उन्होंने अपने बेटे के नाम पर विश्वविद्यालय की
स्थापना की, स्टैनफोर्ड
विश्वविद्यालय।
हो सकता है कि इस घटना में
कोई विशेष संदेश नज़र न आता हो, लेकिन यह समझने लायक है कि जीवन में चीजें कैसे घटित होती
हैं। आत्म-विश्वास, दृढ़
निश्चय और पक्का इरादा एक महान शिक्षण संस्थान को जन्म देती है।
आपके चरित्र का अंदाजा इस बात से लगता है कि आप उनसे कैसा व्यवहार
करते हैं जो आपके लिये कुछ नहीं कर सकते।
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