शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

नालायक


             

प्रायः यह देखने में आता है कि हमें बड़ी जल्दी रहती है किसी के बारे में भी अपनी एक धारणा बनाने की।, एक अनुमान लगाने की, बिना सोचे-समझे और विचार किये। विशेष कर जब बच्चे छोटे ही रहते हैं और स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे होते हैं। पढ़ने में कैसा है? प्रायः यही होता है उसके नापने का मापदंड। परीक्षा में कैसा कर रहा है, कक्षा में  तथा अध्यापकों के साथ उसका कैसा व्यवहार है? हम यह भूल जाते हैं कि जब वे विद्यालय और घर की सुरक्षा के कवच से निकल बाहर की दुनिया में प्रवेश करते हैं तब यथार्थ से उनका साक्षात्कार होता है। और यह मिलन उसके मानस को घड़ने में एक अहम भूमिक निभाता है।   प्रस्तुत घटना इसी पर रोशनी डालती है।

          अरे मास्टरजी, रेट तो डबल है, पर आधे में काम करवा दूंगा आपका’, वह धीमे से फुसफुसाया। क्या करूँ, बहुत दिक्कत है, ऊपर तक चढ़ावा देना पड़ता है - एकाएक उसके लहजे में बेशर्मी उतर आई और फिर आज तो 5 सितम्बर है, डिस्काउंट समझ लो आप ये मेरी तरफ से।

          सरकारी दफ्तर में अपने ही होनहार छात्र को कुर्सी पर बैठा देख मास्टरजी की बाँछें खिल उठीं थी काम आसानी से हो जायेगा लेकिन..... । मास्टर जी तनिक खिन्न हुए, फिर पसीना पोंछते हुए कुर्सी से उठ खड़े हुए। सरकारी दफ्तर के उस कमरे से बाहर निकले ही थे कि पीछे से उसी की फुसफुसाहट सुनाई दी ट्यूशन पढ़ा-पढ़ा कर बहुत माया जोड़ रखी है बुड्ढे ने, पेंशन मिलती है सो अलग, पर देने के नाम पर जेब फटी जा रही है

          मास्टरजी वहीं ठिठक गये। उन्होंने आगे सुना 'अंग्रेजी पढ़ाते थे यह हमें उन्हीं लड़कों को नंबर देते थे जो इनके यहां ट्यूशन पढ़ते थे। हमने भी पढ़ी ट्यूशन तब पास हुए। पर अब क्या करें, गुरुजी हैं, इसलिये लिहाज कर रहा हूँ। मास्टरजी बेहद थके-थके से बाहर आये। निर्णय लिया कि अपने इस विद्यार्थी का अहसान नहीं लेंगे, जितनी रिश्वत मांगता है, देकर अपना काम करवा लेंगे।

          बैंक से रकम निकलवा कर पासबुक समेत थैले में रखी और थैले को बड़ी एहतियात से स्कूटर की डिक्की में रखने जा ही रहे थे, कि मानो किसी चील ने झपट्टा मारा हो। मोटर साइकिल पर सवार वह शख्स, जो मुंह पर कपड़ा बांधे था पल-भर में उड़न-छू हो गया। मास्टरजी, पहले तो हतप्रभ से खड़े रह गये, फिर लड़खड़ा कर गिर पड़े।

          थाने में रपट लिखवा दी गई थी। घर में कोहराम मचा था। पर मास्टरजी एकाएक चुप्पी लगा गए थे। बस बिस्तर पर पड़े-पड़े छत को घूरे जा रहे थे। बड़ी मुश्किल से आंख लगी लेकिन एक डरावना सपना देखा और पसीने से तरबतर हो बिस्तर से उठ खड़े हुए। भोर हो चुकी थी। मन न होते हुए भी सैर को निकल पड़े। अभी नुक्कड़ तक ही पहुंचे थे कि एकाएक चिहुंक उठे। एक तेज गति से आ रही बाइक उन्हें छूती हुई निकल गई। वे फटी-फटी आंखों से देखते रह गए क्योंकि उनका वही थैला अब उनके पैरों के पास पड़ा था।

          धड़कते दिल से उसे खोला रकम, पासबुक सब सही सलामत थे। साथ में एक काग़ज़ का पुर्जा भी था, जिस पर बहुत आड़े-तिरछे तरीके से लिखा था - "सोर्री मास्साब, गलती हो गई। अगर हम भी टूसन पढे होते तो कहीं बाबू-वाबू लग ही जाते।'

          दिमाग पर बहुत ज़ोर लगाने के बाद भी वे यह याद नहीं कर सके कि यह कौन-सा नालायक छात्र था और मास्टरजी सोचते रह गये कौन नालायक निकला!

         क्या आप मास्टरजी की सहायता कर सकते हैं यह बताने में कि उनके इन दो विद्यार्थियों में कौन नालायक है और क्यों? नीचे दिये कोममेंट्स में अपने विचार दें ताकि उसे दूसरे भी पढ़ सकें और अपने-अपने कोममेंट्स दे सकें। 

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यू ट्यूब पर सुनें : à

https://youtu.be/HMTkF5APsoU

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