बस अंत नहीं, बसंत है यह, गूँजे दिक-दिगंत यह,
वनदेवी
आज शृंगार करे, हम मिल कर यह निनाद करें
माँ
अज्ञान हमारा दूर करे।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
यू ट्यूब पर सुनें :
ब्लॉग पर पढ़ें :
https://sootanjali.blogspot.com/2025/02/2025.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें